रंगीन पहाड़ों में, जंगल और झाड़ों में। रहेे हर वक्त खयालों में, वादी के बाजारों म... रंगीन पहाड़ों में, जंगल और झाड़ों में। रहेे हर वक्त खयालों मे...
चिट्ठी खोली लोगों ने तो, कुछ ऐसा उसमें लिखा पाया किसी एक को चुनना मुश्किल है दोनों को ही खोने से ... चिट्ठी खोली लोगों ने तो, कुछ ऐसा उसमें लिखा पाया किसी एक को चुनना मुश्किल है ...
ऐसा नहीं है कि वो प्यार नहीं करता उसकी कलियों सी मुस्कान देख वो भँवरा सा बन जाता है पर ज़िन... ऐसा नहीं है कि वो प्यार नहीं करता उसकी कलियों सी मुस्कान देख वो भँवरा सा ...
कभी झूठ के पर काटती, कभी सच को झूठलाती, कभी झूठ के पर काटती, कभी सच को झूठलाती,
दीद करा जा महबूबा। दीद करा जा महबूबा।
तू सुलग रही , जल चुका हूं मैं। तू सुलग रही , जल चुका हूं मैं।